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काशीपुर। पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि शहर की तस्वीर बदल देने से तकदीर नहीं बदलती। इसके लिए सामूहिक राय से फैसले लेने होते हैं। बुधवार दोपहर रामनगर रोड स्थित विधायक कार्यालय में मीडिया से मुखातिब पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि शासन स्तर पर होने वाले फैसलों में महापौर दीपक बाली दखल दे रहे हैं। शहर के चौराहों के पौराणिक नाम बदलने का उनका प्रयास आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि पुरानी पहचान को बिना कारण मिटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। पूर्व विधायक ने कहा कि जब शासन से नाम बदलने के प्रस्ताव अनुमोदित नहीं हुए तो अफसरों की फौज के साथ इन स्थलों
का भ्रमण करने का क्या आौचित्य है। उन्होंने कहा कि विकास समेत अन्य जरूरी मसलों में महापौर शहर के विधायक से भी मशविरा करना जरूरी नहीं समझते। ज्ञात हो कि महापौर श्री बाली ने चीमा चौराहे समेत कई स्थलों के नाम बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। कहा जा रहा है कि इसके लिए महापौर ने भाजपा नेताओं और संगठन को विश्वास में नहीं लिया। इस दौरान अपने साथ बैठे भाजपा के वरिष्ठ नेता राम मेहरोत्रा, भाजपा प्रदेश महामंत्री खिलेंद्र चौधरी और प्रदेश मंत्री एवं निगम पार्षद गुरविंदर सिंह चंडोक की ओर इशारा कर पूर्व विधायक चीमा ने कहा कि सरकार और संगठन के प्रतिनिधि यहां बैठे हैं। इन्हीं से पूछ लीजिए कि महापौर ने उनसे किसी मसले में कभी कोई राय ली है। साथ ही कहा कि इर्द गिर्द परिक्रमा करने वाले कुछ लोगों को जनता का नाम देना कतई उचित नहीं है। पूर्व विधायक ने कहा कि वह चौराहों के नाम बदले जाने के महापौर के निर्णय से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को चौराहों के नाम न बदलने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। हालांकि, पूर्व विधायक ने कहा कि नाम रखें, लेकिन उन चौराहों के जिनके नाम नहीं है। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ जनों और पार्षदों की राय ली जानी चाहिए। पूर्व विधायक ने कहा कि उनके कार्यकाल में वे और मेयर मिलजुल कर विकास करते थे। निगम बोर्ड की मीटिंग में जाने की आवश्यकता भी महसूस नहीं होती थी, लेकिन आज महापौर द्वारा अपने सारे क्रियाकलापों से विधायक को ऐसे बाहर कर दिया गया, जैसे दूध में से मक्खी।
उन्होंने कहा कि महापौर हो या विधायक यदि अपने कार्यक्षेत्र से बाहर नियमानुसार कार्य न किया जा रहा हो तो संबंधित अधिकारियों को उन्हें सही राय देनी चाहिए।

